असम के दरंग जिले के सिपझर इलाके में इविक्शन ड्राइव के दौरान पुलिस की निर्दयता के डरावने दृश्य सामने आए हैं। जिसमें पुलिसकर्मी खुली फायर करने के साथ ही एक व्यक्ति को बुरी तरह से पीट रही है। उनके साथ ही बिजय शंकर बनिया नाम के एक व्यक्ति को भी न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने पहचाना है जो एक ऐसे व्यक्ति के साथ क्रूरता करता हुआ दिख रहा है जिसके सीने में गोली का घाव था। बिजय शंकर बनिया एक पेशेवर फ़ोटोग्राफ़र है जिसे जिला प्रशासन के द्वारा घटना को रिकोर्ड करने के लिए नियुक्त किया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार इस व्यक्ति को गिरफ़्तार कर लिया गया है।
विडीओ में सैंकड़ों पुलिसकर्मी पेड़ों के पीछे से बिना देखे ही फ़ायरिंग करते हुए दिख रहे हैं। शुरुआत में पुलिस ने एनडीटीवी को बताया कि इस दौरान किसी की मृत्यु नहीं हुई है किंतु बाद में पता चला कि इस पुलिस कार्यवाही में दो लोगों की जान चली गई और पुलिसकर्मियों सहित लगभग 20 लोग घायल हुए हैं।
न्यूज़ वेबसाइट Scroll के अनुसार प्रशासन ने बुधवार रात्रि को किरकोटा चार के निवासियों को बेदख़ली का नोटिस दिया था। जिसके खिलाफ गुरुवार सुबह को विरोध प्रदर्शन किया गया। जिसके बाद, रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रशासन द्वारा वायदा किया गया कि बेदख़ली से पहले ग्रामीणों के पुनर्वास के लिए व्यवस्था कर दो जाएगी। किंतु, इसके बाद जैसे ही एक्टिविस्ट इलाके को छोड़कर गए, पुलिस ने विरोध प्रदर्शन करने वालों पर खुली फायर शुरू कर दो।
NDTV के अनुसार, पुलिस ने कहा कि पहले ग्रामीणों ने पुलिस पर पत्थरबाज़ी की, उसके बाद ताक़त का प्रयोग करने के अलावा पुलिस के पास कोई विकल्प नहीं बचा था।
“हमारे 9 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, 2 नागरिक भी घायल हुए हैं। अब उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। अब चीजें सामान्य है।” - एसपी सुशांता बिस्वा सर्मा (मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सर्मा के भाई)।
राज्य के कोंग्रेस नेताओं ने कहा कि महामारी के दौरान ऐसे इविक्शन ड्राइव चलाना अमानवीय होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी उल्लंघन है।
असम कोंग्रेस प्रेसिडेंट भूपेन कुमार बोराह ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि असम सरकार धोलपुर के निवासियों को बेदख़ल करने के लिए निरंकुश सरकार की तरह बर्ताव कर रही है। ये लोग इस इलाके में 1970 से रह रहे हैं।
बेहतरीन दोस्त
ReplyDeleteधन्यवाद मोहित!
Deleteआपके कमेंट हमेशा हमें प्रोत्साहित करते हैं।