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Wednesday, September 22, 2021

चरणजीत सिंह छन्नी बने पंजाब के प्रथम दलित सीएम

जानें - कौन हैं पंजाब के नए सीएम



 

रविवार को कॉंग्रेस ने दलित-सिक्ख नेता चरणजीत सिंह छन्नी को पंजाब का नया मुख्यमंत्री बनाया। 58 वर्ष के चरणजीत सिंह ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह मुख्यमंत्री का कार्यभार सम्भाला है । चरणजीत सिंह छन्नी पंजाब की चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से एमएलए हैं। वे पंजाब के पहले दलित सीएम हैं।


चरणजीत सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1972 को चमकौर साहिब के पास मकरोना कलाँ नाम के गाँव में हुआ था। इनकी माता का नाम अजमेर कौर तथा पिता का नाम एस हर्सा सिंह है। इनके पिताजी ग्राम पंचायत के सरपंच तथा ब्लॉक समिति के सदस्य रहे हैं। इस तरह से चरणजीत सिंह छन्नी को राजनीतिक आधार एवं अनुभव अपने घर से ही मिला।


स्कूल के शुरुआती दिनों से है छन्नी राजनीतिक क्रियाकलापों में भागीदारी करते रहे। इन्हें स्कूल यूनियन के प्रेसिडेंट के रूप में भी चुना गया था। अपनी सेकंडेरी शिक्षा पूरी करने के पश्चात् उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने चंडीगढ़ के गुरु गोविंद सिंह कॉलेज में प्रवेश लिया। स्नातक के पश्चात् इन्होंने चंडीगढ़ में ही पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया तथा कानून में अपनी डिग्री हासिल की और इसके बाद पीटीयू जलंधर से बिज़्नेस अड्मिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स किया। अभी हाल ही में इन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से अपनी पीएचडी की डिग्री हासिल की है। छन्नी को एक अच्छे हैंड्बॉल खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है और इस दौरान इन्होंने कई अवॉर्ड अपने नाम किए हैं। चरणजीत सिंह ने हैंड्बॉल में पंजाब यूनिवर्सिटी का तीन बार नेतृत्व किया था और इंटर-यूनिवर्सिटी खेल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल भी हासिल किया था।


छन्नी तीन कार्यकाल तक म्यूनिसिपल काउन्सिलर रहे हैं और उसके बाद दो कार्यकाल के लिए म्यूनिसिपल काउन्सिल खरार के प्रेसिडेंट भी रहे हैं। प्रथम बार 2007 में वे चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से एमएलए के रूप में चुने गए। इसके बाद वर्ष 2012 और 2017 में इसी विधानसभा क्षेत्र से इन पुनर्निर्वाचन हुआ। वर्ष 2015 में छन्नी को 14वीं पंजाब विधान सभा में विपक्ष का नेता चुना गया तथा 2017 में पंजाब सरकार में टेक्निकल एजुकेशन एवं इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग, एम्प्लॉमेंट जेनरेशन तथा साइंस एवं टेक्नॉलजी के केंद्रीय मंत्री के रूप में नियुक्त किए गए।


छन्नी उन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने अमरिंदर सिंह के खिलाफ झंडे खड़े किए थे। पंजाब में दलित समुदाय की जनसंख्या लगभग एक तिहाई है। इस तरह से कोंग्रेस के इस कदम को पंजाब में आने वाले चुनावों की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। छन्नी को मुख्यमंत्री चुने जाने से पहले ये क़यास लगाए जा रहे थे कि कोंग्रेस किसी दलित-सिख चेहरे को या तो मुख्यमंत्री का पदभार देगी या फिर उपमुख्यमंत्री बनाकर राज्य की जातीय समीकरणों को बराबर करेगी।


इनसे पहले कोंग्रेस नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल था क्योंकि कई एमएलए उनके नाम को समर्थन दे चुके थे लेकिन इसी बीच चरणजीत सिंह छन्नी का नाम अंतिम समय में अचानक उभर कर आया। रंधावा भी पंजाब कोंग्रेस चीफ़ नवजोत सिंह सिद्धू की तरह ही जाट-सिख नेता हैं।


भाजपा यह पहले से ही घोषणा कर चुकी थी कि यदि वह पंजाब में सत्ता में आती है तो दलित समुदाय से ही मुख्यमंत्री को चुना जाएगा। वहीं शिरोमणि अकाली दल भी बीएसपी के साथ गठबंधन कर आगामी चुनावों के लिए रणनीति बना रही है और घोषणा कर चुकी है कि सत्ता में आने के पश्चात् दलित समुदाय के व्यक्ति को उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा। 

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