कोविड-19 महामारी ने मानव जाति के पूरे जीवन को उलट-पुलट कर रख दिया है। गरीब से लेकर अमीर तक हर उम्र तथा हर लिंग के व्यक्ति ने इस भयावह सच्चाई का सामना किया है। समाज के हर तबके ने इस महामारी के समक्ष अपने-आप को लाचार एवं बेबस महसूस किया है। किंतु, समाज के ऐसे वर्ग जो महामारी के पहले से ही हाशिए पर थे, उन्हें तो इस महामारी ने बिल्कुल पस्त सा कर दिया है। महिलाएँ, बच्चे, वृद्ध तथा दलित व्यक्ति समाज के ऐसे संवेदनशील वर्ग हैं, जिन्हें अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी जी-जान लगानी पड़ती है। ऐसे में इस महामारी के आने से दैनिक मज़दूरी करने वाले लोगों का व्यवसाय बंद हो गया और इनके लिए दैनिक आवश्यकताओं के साथ-साथ दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो गया था। लॉक्डाउन में गरीबी, भुखमरी और बेरोज़गारी से जूझते लोग शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी एक लड़ाई लड़ रहे थे।
कहते हैं, जब मुश्किल वक्त आता है तब मदद का हाथ बढ़ाने वाले काफी लोग भी उस वक्त के साथ आते हैं। कोरोना काल के कठिन समय में इस कथन का सबसे सटीक उदाहरण इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन रहा है, जिसने स्वयं आगे आकर कोरोना की त्रासदी से प्रभावित लोगों के लिए मदद का हाथ आगे बढ़ाया है। इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन ने इस दौर में हजारों लोगों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ विशेष परिस्थितियों में ज़रूरतमंद लोगों के लिए संसाधनों को पहुँचाने का कार्य भी किया है। महिलाओं, बच्चियों और दलित समुदाय के साथ हर कदम पर खड़े रहकर इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन ने मानवता के साथ-साथ कार्यशीलता और सार्थक उद्देश्यों के प्रति अडिग रहने का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन ने कोविड-19 1.0 की परिस्थितियों के प्रतिउत्तर में दैनिक मज़दूरी करने वाले लोगों तथा उनके परिवारों की तत्काल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए “वी केयर - कोविड-19 रिलीफ़ प्रॉजेक्ट” के तहत बहुआयामी कार्यक्रमों की शुरुआत की। जिनके अंतर्गत जरूरतमंद लोगों हेतु राशन वितरण, नक़द राशि सहयोग से लेकर हाइजीन किट और पोषण संबंधी किट पँहुचाने का कार्य किया गया। इसके अतिरिक्त कोरोना वायरस से बचाव के लिए आवश्यक सावधानियों तथा स्वच्छता पर अतिरिक्त ध्यान आकर्षित करने के लिए लोगों को जागरूक करने हेतु भी कार्यक्रम संचालित किए गए।
सूखा राशन वितरण करने के उपक्रम में इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन ने जरूरतमंद परिवारों के लिए किराने का पूरा सामान - आटा, चावल, दालें, चीनी, खाने का तेल, मसाले, चने तथा दलिया और बिस्किट आदि उपलब्ध कराया। इसमें मुख्य रूप से आगरा शहर की कच्ची बस्तियों में रहने वाले दैनिक श्रमिकों के परिवारों, विधवाओं तथा वृद्ध व्यक्तियों को सहयोग प्रदान किया गया। जिसके तहत लगभग 3,500 से ज्यादा राशन किट का वितरण किया गया। इसी तरह कोविड-19 की पहली लहर के दौरान गिव इंडिया फ़ाउंडेशन, मुंबई, की मदद से इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन ने लगभग 154 दैनिक श्रमिक परिवारों को नक़द राशि के रूप में सहयोग उपलब्ध कराया ताकि लॉक्डाउन की परिस्थितियों में इनके रोज़मर्रा के ख़र्चों की पूर्ति की जा सके।
हाइजीन किट के वितरण में भी यह विशेष ध्यान रखा गया कि संवेदनशील समुदायों और आगरा ज़िले की कच्ची बस्तियों में निवास करने वाली महिलाओं तथा किशोर बालिकाओं को किट उपलब्ध हों तथा इन्हें स्वच्छता एवं हाइजीन किट के उपयोग के प्रति जागरूक किया जा सके। जिससे उन्हें कोरोना वायरस से लड़ने, स्वस्थ रहने तथा विशेष दिनों में अपनी देखभाल करने में मदद हो सके। इन महिलाओं एवं बच्चियों को लगभग 5,000 से ज्यादा हाइजीन किट तथा 40,000 से ज़्यादा सैनिटेरी नैपकिन वितरित किए गए। इस हाइजीन किट में सैनिटायज़र, साबुन, सैनिटेरी नैपकिन, डेटोल, टूथ्ब्रश, पेस्ट तथा रोगाणुनाशकों और फ़ेस मास्क जैसी महत्वपूर्ण वस्तुओं को शामिल किया गया था।
कोविड-19 से सम्बंधित जानकरियों का प्रसार करने तथा झुग्गीवासियों में जागरूकता पैदा करने के लिए इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन ने 60 से ज्यादा कार्यशालाओं का आयोजन किया। इन कार्यशालाओं में लोगों को कोविड-19 से सम्बंधित सकारात्मक एवं नकारात्मक व्यवहारों के प्रति जागरूक कराने के साथ ही सोशल डिस्टेनसिंग, सही तरीके से हाथ धोने, स्वच्छता के उपायों एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं, स्वास्थ्य केंद्रों और नज़दीकी आयसोलेशन केंद्रों के बारे में जानकारियाँ प्रदान की गयीं।
बच्चों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव को देखते हुए इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन ने बच्चों के पोषण स्तर को बढ़ाने के लिए विशेष पहल की। इस दौरान बच्चों के स्वास्थ्य एवं शारीरिक विकास और स्वच्छता के स्तर अनुसार उन्हें पोषण किट उपलब्ध कराये गये ताकि उनके दिमाग और शरीर को सक्रिय रखने के साथ-साथ उनमें वायरस से लड़ने की क्षमता भी पैदा की जा सके। इस किट में पोषण सम्बंधी शुष्क दूध पाउडर, दलिया, भुने हुए चने, बिस्किट, सत्तू तथा बॉर्नविटा को शामिल किया गया और स्वच्छता सम्बंधी सैनिटायज़र, साबुन, टूथ्ब्रश तथा पेस्ट और फ़ेसमास्क उपलब्ध कराये गये।
इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन ने अपनी इन पहलों के माध्यम से आगरा, बाराबंकी और रायबरेली जिलों की लगभग 25 से ज्यादा बस्तियों और 22 हजार से ज्यादा लोगों तक मदद पँहुचायी है। कोविड-19 के उस भयानक दौर में जब एक व्यक्ति का भी घर से बाहर निकलना असम्भव सा हो गया था तब भी इंडियन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन ने अपनी लगन, परिश्रम और सार्थकता की बदौलत लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट लायी है। यह सबकुछ केवल तभी किया जा सकता है, जब किसी के मन में समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाने की चाह होती है। इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन के फ़ाउंडर श्री पुनीत अस्थाना और उनकी टीम ने इसी चाह के बलबूते लाखों लोगों की जिंदगी में परिवर्तन लाने का स्वप्न देखा है। समाज में विशेष तौर पर बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और उनके सपनों की उड़ान के लिए इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन लगभग 15 वर्षों से लगातार प्रयासरत है। इन प्रयासों के परिणाम उम्मीदों से भी कहीं ज्यादा सकारात्मक आए हैं, जिन्होंने हजारों बेटियों की जिंदगियाँ बदली हैं। उनकी माताओं को सिर्फ़ गृहिणी बने रहने के चक्रव्यूह से बाहर निकाला है और इन्हें सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। ऐसे ही प्रयासों के कारण आज हाशिए पर जीवन जीने वाले व्यक्तियों के मन बदलाव की चाह पैदा हुई है। इंडीयन ड्रीम्स फ़ाउंडेशन ने इन प्रयासों के माध्यम से समाज में परिवर्तन के लिए उल्लेखनीय भूमिका अदा की है और उम्मीद है, ये प्रयास इसी तरह अनवरत रहेंगे और लोगों की जिंदगियों को बदलने में सफल होते रहेंगे।
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