राजनीतिक यौद्धा - कविता - The Red Carpet

Breaking

The Red Carpet

“Your Opinion Matters”

Post Top Ad

Post Top Ad

Tuesday, April 27, 2021

राजनीतिक यौद्धा - कविता

 

The Red Carpet - www.theredcarpet.in/


राष्ट्र के धर्म की नींव 

जो अगर मज़बूत होती 

 विचारों की साख़

कहीं अनबूझ होती 


देखोईश्वर से परे भी 

होता है एक धर्म 

जिसमें मृत्यु से ही 

शुरू होता है जीवन 


जीवन की आँखो में 

होता है मृत्यु का सपना 

जैसे योद्धा का है कर्म 

पहले मरना और फ़िर जीना


भूखी रोटी और प्यासे पानी से 

कभी  पूछो कैसे हो तुम 

क्योंकि राजनीति का धर्म जैसा 

रोटी - पानी का रंग वैसा 


क्या राजनीति छोड़ सकती है 

चलना सामदाम,

दण्डभेद के सिद्धांत पर 

या स्वयं का पतित होना भला 


हों लक्ष्य में सिर्फ़

यदि लक्ष्य की ही पूर्ति 

तो उस लक्ष्य का सफ़र 

हो सकता है क्या नैतिक भला 


उठो जंजालों से परे 

यदि जीतना है इस युद्ध को 

दुष्ट रच रहा है चक्रव्यूह 

रोकने की चाह में तुम क्रुद्ध को 


हैं अगर साँसे अभी 

जो स्वाँस नली के द्वार पर 

कहो उनसेरुको अभी 

पुकारता हूँ मैं प्रबुद्ध को 


फिर भरने दो स्वाँस नली 

साँसो की पुकार से

फिर तुम्हारा अंत होगा 

जीत की हुंकार से 


फिर जागेगा युद्ध नया 

नाड़ियों की फ़नकार में 

होगा जन्म नए शस्त्रों का

मानस की झनकार में 


फिर बनोगे तुम योद्धा 

अनंतकाल के जीवन के 

क्योंकि सीखा है तुमने 

जीने से पहलेमरते हैं कैसे 


इस राजनीति के नीति-राज में 

हो खड़े जब पार्थ जैसे

फिर क्यों  जीतोगे भला 

होगा  दुष्ट परास्त कैसे

फिर क्यों  जीतोगे भला 

होगा  दुष्ट परास्त कैसे

No comments:

Post a Comment

We would be happy to hear you :)

Post Bottom Ad